कहानी

“हम बहुत खुश हैं कि वह सीख सकती है।”

विशेष हस्तक्षेप द्वारा साक्षी स्पर्श के माध्यम से दुनिया को जानना सीख रही है- बधिरान्धता से ग्रस्त बच्चों के लिए यह एक आवश्यक कौशल है।

साक्षी से मिलिए

६ वर्ष की साक्षी हँसमुख और सक्रिय है और पानी से खेलना पसन्द करती है। उसकी शिक्षिका घर पर आधारित सत्रों में पानी को खेल के उपकरण के रूप में शामिल करती है कारण इसके माध्यम से साक्षी गीली और सूखी, बड़ी और छोटी जैसी महत्वपूर्ण अवधारणाओं को सीखती है।

एक अनिश्चित प्रारम्भ

साक्षी का जन्म दृष्टि और श्रवण दोनों चुनौतियों के साथ यानी बधिरान्धता के रूप में हुआ था । इन चुनौतियों के कारण उसके माता पिता सोच भी नहीं पाते थे कि सीखने में उसकी किस प्रकार सहायता की जाए। वे अपनी बेटी से बहुत प्यार करते थे और उसे पारिवारिक समारोहों में ले जाते थे पर यह नहीं जानते थे कि सीखने में उसकी सहायता कैसे की जाए।

चार साल तक, उसके परिवार के पास हस्तक्षेप सेवाओं तक पहुंच नहीं थी  और वे इस बात से परेशान रहते थे कि वह कैसे सीखेगी। उस समय तक साक्षी का सम्पर्क सीमित लोगों और वस्तुओं तक था। वह परिवार के बाहर के लोगों से बात करने में संकोच करती थी और अपरिचित वस्तुओं को छूने या उनकी बनावट को महसूस करने में झिझकती थी।

दृष्टि या श्रवण के पूर्ण उपयोग के बिना, यह महत्वपूर्ण  है कि बधिरान्धता से ग्रस्त बच्चा अपने परिवेश के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए स्पर्श के उपयोग पर निर्भर करता है। मगर, स्पर्श के माध्यम से जानने के कौशल को विकसित करने के लिए उसका कोई मार्गदर्शक नहीं था, इसलिए साक्षी कम उम्र में स्पर्श के माध्यम से सीखने के महत्वपूर्ण अवसरों से चूक गई थी।

आशा की एक किरण

जब वह चार साल की थी, जयति भारतम के तहत पर्किन्स इंडिया प्रोजेक्ट टीम ने घर-घर स्क्रीनिंग के दौरान सीतापुर में साक्षी के गांव में प्रचार किया और तुरंत उसके लिए हस्तक्षेप की आवश्यकता को पहचाना।

सबसे पहले, उन्होंने आधार कार्ड (पहचान पत्र) और दिव्यांगता  प्रमाण पत्र प्राप्त करने में उसकी सहायता की, जिसने उसके परिवार को सरकारी योजनाओं तक पहुंचने के लिए सक्षम बनाया। दूसरी बात, टीम ने उसे  गृह -आधारित हस्तक्षेप सेवाओं में नामांकित किया।

साक्षी अपनी शिक्षका के साथ चावल की कटोरी में चावल के कणों की बनावट को समझ रही है।
साक्षी अपनी शिक्षका के साथ चावल की कटोरी में चावल के कणों की बनावट को समझ रही है।
साक्षी अपनी शिक्षिका के साथ गेंद की बनावट को समझ रही है।
साक्षी अपनी शिक्षिका के साथ गेंद की बनावट को समझ रही है।

सहज होना

साक्षी को पहले तो अपनी नई शिक्षिका के साथ मिलना जुलना पसंद नहीं था… पर इस बात ने उन्हें हतोत्साहित नहीं किया। साक्षी के परिवार के साथ काम करके, हमने  उसकी पसंद-नापसंद के बारे में सब कुछ सीखा, और पता कर पाए  कि उसे पानी से खेलना बेहद  पसंद है!

धीरे धीरे उसकी शिक्षिका ने पानी के उपयोग वाली मनोरंजक गतिविधियों की योजना बनाई और अपने सत्रों में पानी को सम्मिलित करना आरम्भ कर दिया। पानी के इस कौतुक पूर्ण खेल ने साक्षी को सभी नए प्रकार के खिलौनों और वस्तुओं के बारे में जानने के लिए प्रोत्साहित किया। अब वह अपने आसपास को जानने के लिए नई वस्तुओं की खोज में सक्षम है।

स्पर्श द्वारा सीखने के इस नए कौशल के साथ, साक्षी के लिए अवधारणाओं की एक नई दुनिया खुल रही है – चिकनी और खुरदरी जैसी अवधारणाएँ – जो आने वाले वर्षों में उसके लिए निरंतर सीखने के एक महत्वपूर्ण आधार का निर्माण करेंगी।

जब से साक्षी को हस्तक्षेप की सहायता मिलनी आरम्भ हुई है हमने उसमें अच्छा विकास देखा है। वह अपनी शिक्षिका के साथ नई नई बातों को सीख रही है।

साक्षी की माँ

समुदाय की वृद्धि

जैसा की साक्षी अब धीरे धीरे स्पर्श द्वारा सीखने लगी है, वह अब धीरे धीरे नए रिश्ते भी बना रही है।  आज वह अपने शिक्षक के साथ बातचीत का आनंद लेती है। उसने पर्किन्स इंडिया समर्थित कम्युनिटी इंटरवेंशन सेंटर में भी जाना शुरू कर दिया है, जहाँ उसे मित्रों के साथ बातचीत करने में मज़ा आता है।

साक्षी के माता-पिता यह देखकर राहत और गर्व महसूस करते हैं कि वह कितना कुछ सीख गई है। उसकी माँ कहती है, “जब से साक्षी को हस्तक्षेप मिलना आरम्भ  हुआ है, हमने उसमें अच्छा विकास देखा है। वह अपनी शिक्षिका के साथ नई नई चीजें सीख रही है और विभिन्न लोगों से बातचीत करने लगी है। हम बहुत खुश हैं कि वह सीख सकती है।”

साक्षी सामुदायिक हस्तक्षेप केंद्र में  शिक्षिका के साथ बातचीत करती है और उसकी माँ मुस्कुराती हुई उन्हें देखती है।
साक्षी सामुदायिक हस्तक्षेप केंद्र में  शिक्षिका के साथ बातचीत करती है और उसकी माँ मुस्कुराती हुई उन्हें देखती है।
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