लेख

समावेशीकरण की प्राप्ति और उसका तात्पर्य

पर्किन्स इंडिया की आईडीआई टीम के द्वारा दिए गए हस्तक्षेप से अब लावी घर में कैद नहीं है

लावीअपनी शिक्षिका आरती के साथ रंग भरने की गतिविधि में संलग्न है।

आज आप छह वर्षीय लावीको लखनऊ के गोसाईंगंज ब्लॉक के सामुदायिक हस्तक्षेप केन्द्र में अपनी शिक्षिका और अपने मित्रों के साथ बातचीत करते देख सकते हैं। केन्द्र में वह अपने मित्रों के साथ मनोरंजक गतिविधियों में संलग्न रहती है। उदाहरण के लिए, जब वह रंगों और अंकों के बारे में पढ़ती है तब वह अपने मनपसंद काम, रंग बिरंगे फूलों को गिनने और उन्हें मिट्टी के बर्तन में रखने का आनन्द लेती है। उसके माता-पिता बताते है कि जब वह हर हफ्ते केन्द्र आती है तो सीखना पसन्द करती है।

लावीका यह अनुभव एक बड़ा बदलाव है जहां से आपने उसे एक साल पहले पाया होगा।जब परिवार और समुदाय के सदस्य लावी  के छोटे भाई को बाहर खेलने  के लिए ले जाते थे, पर लावीको घर पर ही छोड़ देते थे तो उसकी माँ परेशान हो जाती थी। संयुक्त दृष्टि दिव्यांगता  और बौद्धिक दिव्यांगता के कारण लावी  की ध्यान-अवधि अल्प है और उसका ध्यान आसानी से विचलित हो जाता है; लोगों को नहीं मालूम था कि उसे कैसे व्यस्त रखा जाए। अपने छोटे से गाँव में लवि की पहुँच किसी भी ऐसी शिक्षा तक नहीं थी जो उसकी जरूरत को पूरा कर सके। लवि स्वाभाव से बहुत ही स्फूर्तिवान और हँसमुख है इसलिए उसे पढ़ाई और खेलकूद जैसे अवसरों से अलग कर दिए जाने को स्वीकार करना उसकी माँ के लिए कठिन था।

लावी  का आज का सीखने का अनुभव हमारी सहभागी संस्था जयति भारतम् में पर्किन्स इंडिया  की पहचान और हस्तक्षेप (आइडेन्टिफिकेशन एण्ड इंटरवेंशन {आईडीआई} ) टीम की मध्यस्थता से सम्भव हो पाया है। उसके गाँव में आईडीआई टीम द्वारा घर-घर जाकर जांच  के माध्यम से  में उसकी पहचान की गई थी।

लावी  मिट्टी के बर्तन में फूलों को रखते हुए

इस पहचान और हस्तक्षेप कार्यक्रम ने लावी  को एक पर्किन्स प्रशिक्षित शिक्षिका से मिलवाया जिससे लावी  की दुनिया ही बदल गई।  अपनी शिक्षिका की सहायता से लावी  सीख गई है कि एक जगह कैसे बैठा जाए और खुद को किसी कार्यकलाप में कैसे व्यस्त रखा जाए। पहले जहाँ वह चीजों को एक ओर फेंक देती थी, क्योंकि उसे समझ नहीं थी कि वे क्या हैं, वहीं अब उनका उपयोग किसी उद्देश्य के लिए कर सकती है कारण अब उसने उन चीजों का सार्थक उपयोग सीख लिया है।

लावी को सीखने में सहायता देने के अतिरिक्त आईडीआई टीम ने उसके परिवार की सहायता पहचान पत्र और दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्राप्त करने में की। ये प्रमाण पत्र लावी और उसके परिवार को दिव्यांगता से ग्रस्त लोगों  को प्राप्य सरकारी लाभ पाने में सक्षम बनाते हैं।

जब लवि ने आईडीआई टीम से हस्तक्षेप प्राप्त करना आरम्भ किया तो उसकी जिन्दगी बदल गई। आज उसकी माँ उसे नित नए कौशल सीखते देख कर बहुत गर्व महसूस करती है ।

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