“मैं सीख सकता हूँ और मैं भी अपने दोस्तों के साथ सीखना और विद्यालय जाने का आनंद लेना चाहता हूँ”, यह कहता है ध्रुव, एक 8 वर्षीय लड़का जो अपनी माँ, पिता और छोटी बहन के साथ अहमदाबाद में रहता है। ध्रुव को सेरेब्रल पाल्सी, अल्प दृष्टि दोष (लो विज़न) और बौद्धिक अक्षमता है।
ध्रुव के पिता एक निजी बिल्डिंग में लिफ्ट ऑपरेटर के रूप में काम करते हैं। ध्रुव की चिकित्सा और शैक्षणिक फीस और अन्य जरूरतों को पूरा करना परिवार के लिए हमेशा संघर्षपूर्ण रहा है। आकस्मिक राष्ट्रीय लॉकडाउन परिवार के लिए एक दुःस्वप्न के जैसा था। एक समय ऐसा था कि परिवार के पास खाने के लिए भी कुछ नहीं था।
सौभाग्य से परिवार के लिए, लॉकडाउन के पहले दिन से ही ब्लाइंड पीपल्स असोसिएशन (बीपीए) ने राहत कार्य शुरू कर दिया था और ध्रुव जैसे परिवारों को ग्रोसरी किट (किराने की किट ) की आपूर्ति की। पर्किन्स इंडिया की सहायता से बीपीए ने ऐसे १०० परिवारों के लिए तीन महीने तक लगातार सहायता प्रदान की। यह ध्रुव के परिवार के लिए एक बड़ी सहायता थी। न केवल वे ग्रोसरी किट की सहायता से से जीवन यापन कर पाए , बल्कि वे ध्रुव की मिर्गी के लिए दवा का भुगतान भी कर पाए ।
अगली चुनौती ध्रुव की शिक्षा और थेरेपी जारी रखने का तरीका खोजना था। महामारी के दौरान स्कूल बंद होने के साथ घर पर रहने के लिए बाध्य, ध्रुव ऊब और बेचैन हो रहा था। उसका परिवार इन दिनों उसे उपयोगी गतिविधियों में संलग्न रखने के लिए संघर्ष करता रहा। बीपीए में शिक्षकों की टीम ध्रुव के लिए ऑनलाइन लर्निंग सेशन के साथ आगे आई। सेशन के लिए परिवार के पास स्मार्ट फ़ोन नहीं था, लेकिन वे एक अंकल को उनका फ़ोन उधार देने के लिए राजी कर लिए ताकि शिक्षकों की समर्पित टीम और थेरेपिस्ट ध्रुव के साथ उसके पिता के सहयोग से काम कर सकें।
कोविड- १९ महामारी के दौरान पर्किन्स इंडिया और बीपीए के बीच साझेदारी ने इन चुनौतीपूर्ण दिनों के दौरान ध्रुव जैसे कई सारे परिवारों की मदद की है। ध्रुव के परिवार के लिए, इसने उनके जीवन काउद्देश्य केवल जीवित रहने के अलावा शिक्षा को बढ़ावा देने और प्रोत्साहित करने में सक्षम बनाने के रूप में भी बदल दिया। उसके माता-पिता उसके लक्ष्यों की प्राप्ति में उसकी सहायता करने के लिए बहुत अधिक प्रेरित हुए। और पुनः सीखते हुए ध्रुव बहुत अधिक प्रसन्न है!