सीतापुर और लखनऊ जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में, कई बार परिवारों को अपने बहूदिव्यांगता सहित दृष्टि दिव्यांगता (एमडीवीआई) से ग्रस्त बच्चों के लिए स्वयं ही सहायता और उपयुक्त सेवाओं के स्रोत खोजने पड़ते हैं। सौभाग्य से, प्रोजेक्ट आईडीआई टीम इस रिक्तता की पूर्ति करने में सहायता करती है।
समुदायों में कई महीने बच्चों की स्क्रीनिंग के अथक प्रयास के बाद, उन्होंने एमडीवीआई से ग्रस्त सैकड़ों बच्चों की पहचान की, जिन्हें शैक्षिक सहायता और सेवाओं की आवश्यकता है। टीम को अब प्रत्येक बच्चे की क्षमता और जरूरतों को पहचानने की ज़रूरत है ताकि वह इन बच्चों के लिए सर्वोत्तम हस्तक्षेप की योजना बना सकें जिसके द्वारा उनकी ज़रूरतों की पूर्ति होगी। यह कार्य एक प्रक्रिया के माध्यम से किया जा सकता है जिसे कार्यात्मक आंकलन कहा जाता है।
अनुराधा मुंगी, एजुकेशनल स्पेशलिस्ट, और संपदा शेवड़े, पर्किन्स इंडिया की कंट्री हेड, ने आईडीआई टीम के लिए एक प्रशिक्षण का नेतृत्व किया जिसमें स्टूडेंट प्रोफाइल फॉर्म के माध्यम से कार्यात्मक आकलन कैसे कर सकते हैं यह समझाया गया।
सिमुलेशन (अनुसरण) गतिविधियों के द्वारा प्रतिभागियों के लिए प्रशिक्षण बहुत उपयुक्त रहा और प्रतिभागी बहुत उत्साहित हुए क्योंकि वे एमडीवीआई से ग्रस्त बच्चों की चुनौतियों समझ पाए और इन बच्चों को सीखने के लिए जिस अनुकूलन की ज़रूरत है उसे भी आसानी से अनुभव कर पाए।
एमडीवीआई से ग्रस्त ४ बच्चे और उनके परिवारों को प्रशिक्षण के लिए आमंत्रित किया गया था। सुश्री संपदा और सुश्री अनुराधा ने कार्यात्मक आंकलन की प्रक्रिया को पहले प्रदर्शित किया। उन्होंने आंकलन के लिए महत्वपूर्ण प्रथाओं को विशिष्ट रूप से दर्शाया जैसे कि बच्चे की उचित स्थिति सुनिश्चित करना, उचित सामग्री का उपयोग करना, और परिवार के सदस्यों को शामिल करना। पर्किन्स इंडिया के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में आईडीआई टीम को सभी बच्चों के साथ बातचीत करने और कार्यात्मक मूल्यांकन की प्रक्रिया का अभ्यास करने का मौका दिया गया।
प्रोजेक्ट आईडीआई टीम की एक सीबीआर कार्यकर्ता, सोफिया, ने साझा किया, “अब मुझे इस बात की बेहतर समझ है कि कुछ बच्चे अपनी प्रतिक्रियाओं में असहज या असंगत क्यों थे। मैं अब वापस जाउंगी और उनकी जरूरतों का आकलन करुँगी और उसके अनुसार अनुकूलन करुँगी, ताकि वे ज्यादा बेहतर तरीके से सीख सकें।“
औपचारिक प्रशिक्षण के अलावा, आईडीआई टीम समुदाय में एमडीवीआई से ग्रस्त बच्चों के घर पर कार्यात्मक आंकलन की प्रक्रिया को देख पाए। सुश्री अनुराधा और सुश्री संपदा ने इन घरों के दौरों के समय आंकलन पद्धतियों का प्रदर्शन किया, जिससे विभिन्न प्रकार के बच्चों और विभिन्न परिस्थितियों में कार्यात्मक आंकलन के महत्वपूर्ण घटकों को सुदृढ़ करने में सहायता मिली।
सुश्री रेनू अग्निहोत्री, जयति भारतम की मुख्य कार्यपालिका, ने कहा कि “हमने कई नए कौशल सीखे हैं और कई बच्चों की चुनौतियों का आंकलन करना, उचित स्थिति और उनकी ज़रूरतों को समझने के क्षेत्र में नई जानकारी प्राप्त की है; और यह सब इस प्रशिक्षण के माध्यम से जो बहुत ही व्यावहारिक था, समझने में आसान, बहुत ही रोचक और सहभागी था। ”