भारत में ऐसे हज़ारों दिव्यांगता से ग्रस्त बच्चे हैं जिनकी पहुँच प्रारम्भिक हस्तक्षेप, उपचार, विद्यालय में नामांकन, हस्तक्षेप या शिक्षा सेवाओं तक नहीं है। जयति भारतम् और डॉ. श्रॉफ के चैरिटी आई हॉस्पिटल जैसे स्थानीय भागीदारों के साथ पर्किन्स इंडिया अगम्य बहु दिव्यांगता और दृष्टि दिव्यांगता से ग्रस्त (एमडीवीआई) बच्चों तक पहुँचता हैं । और साथ ही इन बच्चों के लिए पहचान, हस्तक्षेप और शिक्षा जैसी सेवाओं की प्रक्रिया के माध्यम से एक मार्ग प्रशस्त करता है। आगे पढ़िए कुछ उदहारण जो दर्शाते हैं के पर्किन्स इंडिया के मॉडल द्वारा देश में शिक्षा से वंचित और अगम्य बच्चों को किस प्रकार सम्मिलित कर रहा है।
चार वर्षीया नायरा स्थानीय आशा कार्यकर्ता द्वारा संदर्भित की गई थी। उस प्रारम्भिक संदर्भ के बाद उसे गोसाईंगंज के सामुदायिक हस्तक्षेप केन्द्र में नियमित चिकित्सीय सहायता और हस्तक्षेप सत्र के लिए नामांकित किया गया। अपनी शिक्षिका और चिकित्सक से प्राप्त नियमित शैक्षिक एवं उपचारात्मक हस्तक्षेप से नायरा अब सहारे से खड़ी हो पाती है।
जब ईशान और शोभित से समुदाय में भेंट हुई तो दोनों ही अपने गाँव के विद्यालय में नामांकित नहीं थे। पर्किन्स इंडिया मॉडल के माध्यम से, ईशान और शोभित दोनों को विद्यालय में नामांकित किया गया है और वे अब कक्षा में अपने गैर-दिव्यांग साथियों के साथ सीखने के लिए तैयार हैं।
रेहान को चित्र बनाना और रंग भरना पसंद है; पर दृष्टि दिव्यांगता के कारण वह अपने क्रियाकलाप पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाता था। पर्किन्स इंडिया के प्रशिक्षित पेशेवरों द्वारा मूल्यांकन के बाद रेहान की दृष्टि दिव्यांगता की पहचान की गई और उसे चश्मा दिया गया। अब, रेहान अपने रंग भरने की गतिविधि ध्यान देकर करने के लिए तैयार है।
पहचान होने के पूर्व तक ऋषि अपने घर तक ही सीमित था। पहचान होने के बाद उसे एक व्हील चेयर प्रदान की गई है, और अब वह घर से बाहर निकलने में सक्षम है।
क्यूंकि बहुत से दिव्यांगता से ग्रस्त बच्चे घर पर ही रह जाते हैं, वे सामाजीकरण के महत्वपूर्ण सुअवसर को खो देते हैं। पर्किन्स इंडिया मॉडल के एक भाग के रूप में स्थापित सामुदायिक हस्तक्षेप केन्द्र एक ऐसा स्थान प्रदान करते हैं जहाँ एमडीवीआई से ग्रस्त बच्चे अपने मित्रों के साथ बात कर सकते हैं और सम्बन्धों को विकसित कर सकते हैं; सामूहिक कला सम्बन्धी गतिविधि, खेल और भौतिक चिकित्सा सभी इसमें शामिल होते हैं। गोसाईंगंज के सामुदायिक हस्तक्षेप केन्द्र में उन्नत, लावी और स्नेहा एक दूसरे से बातचीत करना और केन्द्र में बच्चों के साथ खेलना सीख रहे हैं।