बहुदिव्यंगता और दृष्टि दिव्यंगता (एमडीवीआई )से ग्रस्त बच्चों में दृष्टि दिव्यंगता होती है और कम से कम एक अन्य दिव्यंगता भी होती है, जो कि संज्ञानात्मक, विकासात्मक और श्रवण- या- गतिशीलता सम्बन्धी हो सकती है| इनमें से बहुत से बच्चे संप्रेषण(बोल चाल) में, सामाजिक व्यवहारों, गतिशीलता, और स्वतंत्र रूप से रहने की कला के सम्बन्ध में बहुत सी चुनौतियों का सामना करते हैं| हस्तक्षेप कार्यक्रम जो एक एकल दिव्यांगता से ग्रस्त बच्चों के लिए सार्थक हो, ज़रूरी नहीं के वही हस्तक्षेप कार्यक्रम एमडीवीआई से ग्रस्त बच्चों के लिए भी उपयुक्त हो। कारण एमडीवीआई अवस्था में हर एक दिव्यांगता का योगिक प्रभाव होता है।
एमडीवीआई से ग्रस्त बच्चों का संप्रेषण करने का तरीका अन्य व्यक्तियों से भिन्न हो सकता है – जैसे एक बच्चा संवाद में शब्दों के बिना या सांकेतिक भाषा का भी उपयोग कर सकता है| वे अपने आस-पास के परिवेश को समझने के लिए दिखाई देने वाले संकेतों को उस तरह से समझ नहीं सकते हैं ,जैसे कि कोई औसतन दृष्टिकोण वाला समझ सकता है | इन परिस्थितियों में परिवेश के विशेष अनुकूलन और हस्तक्षेप शिक्षण की ज़रूरत होती है, जिससे बच्चे अपने आस पास की दुनिया के बारे में सीखने में सक्षम हो सकें |
२०११ की भारत की जनगणना में दिव्यंगता की घटनाओं की आठ श्रेणियों की रिपोर्ट दी गयी है, जिसमें बहुदिव्यंगता भी शामिल है| पर्किन्स के अनुभव और अन्य स्त्रोतों [१] [२ ] [३ ] के आधार पर हमारा अनुमान हैं कि बहुदिव्यंगता से ग्रस्त ७०% लोगों में दृष्टि दिव्यंगता, उनकी बहु दिव्यंगताओं में से एक है, जो यह दर्शाती है कि उनमें एमडीवीआई है | इससे यह पता चलता है कि २०११ की जनगणना के अनुसार (०-१९ आयु वर्ग के ) ४७४, ९०९ बच्चे एमडीवीआई से ग्रस्त होंगे.
हालाँकि विशेषज्ञों का तर्क हैं कि दिव्यंग्तासे ग्रस्त व्यक्तियों की संख्या २०११ की जनगणना के परिणामों [२] [४ [५ ] की अपेक्षा कहीं अधिक है | पर्किन्स के अंतर्राष्ट्रीय वैश्विक अनुमानों का उपयोग करते हुए, हम मानते हैं कि (०-१९ आयु वर्ष ) के एमडीवीआई से ग्रस्त ९४९, ३२९ बच्चे हो सकते है, जो जनगणना द्वारा बताए गए संख्या से लगभग दो गुना है!
पर्किन्स इंटरनेशनल का अनुमान है कि विश्व स्तर पर एमडीवीआई से ग्रस्त ६० लाख बच्चे और युवा वयस्क (उम्र 0-24) हैं। यह अनुमान विश्व स्वास्थ्य संगठन के दृष्टि दिव्यांगता : २०१० के वैश्विक डेटा पर आधारित हैं, जो दृष्टि दिव्यांगता से ग्रस्त उन बच्चों की संख्या बताता है, जिनका आसानी से निदान और सुधार नहीं किया जा सकता है| विशेषज्ञों द्वारा यह बताया गया है कि इस क्षेत्र में दृष्टि दिव्यांगता से ग्रस्त बच्चों में अतिरिक्त दिव्यांगता होती है [६ ]। इस जानकारी का उपयोग करके हम व्यापक दर का अनुमान लगा सकते हैं और उसे वैश्विक जनसँख्या डेटा पर लागू कर सकते हैं |
जब हम इस व्यापकता दर को २०११ की समान जनसँख्या डेटा पर लागू करते हैं, तो भारत में यह (०-१९ आयु वर्ष) के एमडीवीआई से ग्रस्त ९४९,३२९ बच्चो की संख्या बताता है, लगभग १० लाख बच्चे |
हम जानते हैं कि यह जटिल है! हमने विश्वसनीय डेटा और तार्किक अनुमानों के यथार्थ अनुमानों में जहाँ तक संभव हो सके यथोचित परिश्रम किया है परन्तु यह भी स्वीकार करते हैं कि ये दोषपूर्ण एक्स्ट्रापोलेशन है |
एमडीवीआई से ग्रस्त बच्चों की वास्तविक संख्या के बारे में स्पष्ट समझने के लिए, हम उनकी पहचान और हस्तक्षेप द्वारा एमडीवीआई से ग्रस्त बच्चों को ढूंढने, उनके दस्तावेजीकरण, और गणना की आशा करते हैं। चूँकि हम एमडीवीआई से ग्रस्त बच्चों की व्यवस्थित रूप से गणना और डेटा संग्रहित करते हैं, हम हमारे परिणामों की २०११ के बेंचमार्क डेटा से तुलना करेंगे|
[१ ] परिवार जोड़ना | (२०१९ ) बहुदिव्यांगता से ग्रस्त बच्चों की विस्तृत कोर पाठ्यक्रम, की जरूरत भी होती है! https://www.familyconnect.org/info/education/expanded-core-curriculum/children-with-multiple-disabilities/125 से लिया गया है
[२ ] अरोड़ा एनके, नायर एमकेसी, गुलाटी एस, देशमुख वी, मोहापात्र ए, मिश्रा डी, एट अल। (२०१८)। २-९ वर्ष की आयु के बच्चों में न्यूरोडेवलपमेंटल विकार: भारत में पांच क्षेत्रों में जनसंख्या-आधारित भार का अनुमान। पीएलओएस मेड, १५ (७) : ई१००२६१५। https://doi.org/10.1371/journal.pmed.1002615 से लिया गया है
[३] वैन डेन ब्रोक, ई.जी.सी., जानसेन, सी.जी.सी., वैन रामशोर्स्ट, टी., डीन, एल. (२००६ )। गंभीर और गहन बहु दिव्यांगता से ग्रस्त लोगों में दृष्टि दिव्यांगता : दृश्य कार्यप्रणाली की एक सूची। जर्नल ऑफ़ इंटेलेक्चुअल डिसएबिलिटी रिसर्च, ५० (६) I ४७०-४७५ I https://onlinelibrary.wiley.com/doi/full/१०. ११११/ज. ३६५-२७८८.x से लिया गया है
[४] पामर, एम., हार्ले, डी. (२०१२ )। विकलांगता में मॉडल और माप: एक अंतरराष्ट्रीय समीक्षा। स्वास्थ्य नीति और योजना,२७ (५) । ३५७-३६४ । https://academic.oup.com/heapol/article/२७/५/३५७/७४९४५८ से लिया गया है
[५] सैकिया, एन., बोरा, जे.के., जैसिलियोनिस, डी., शकोलनिकोव वी.एम. (२०१६ )। डिसएबिलिटी डिवाइड्स इन इंडिया: २०११ की जनगणना से साक्ष्य। प्लस वन, ११ (८))। https://journals.plos.org/plosone/article?id=10.1371/journal.pone.0159809 से लिया गया है
[६ ] ज़ांबोन, ए.एम., सिनेर, ई., एपेल, एस., ग्रैबॉयस, एम. (२०००)। बी में बहु दिव्यांगता से ग्रस्त बच्चे | सिल्वरस्टोन, एम.ए. लैंग, बी.पी. रोसेन्थल, ई.ई. फेय (संस्करण १ ), द लाइटहाउस हैंडबुक ऑन विजन इम्पेयरमेंट एंड विजन रिहैबिलिटेशन (पीपी ४५१-४६८ ) | न्यूयॉर्क, एनवाई: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस।