“मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं और मेरा परिवार सुनैना के साथ चिड़ियाघर की सैर कर पाएंगे। ,” सुनैना की माँ ने साझा किया । इसके बावजूद, सुनैना अपने परिवार और अपने जैसे बहु दिव्यांगता और दृष्टि दिव्यांगता से ग्रस्त बच्चों के समूह के साथ एक प्यारे और खुशनुमा अनुभव के लिए लखनऊ का चिड़ियाघर घूमने गई। कई बच्चों के लिए यह एक पहला अनुभव था कि उन्हें चिड़ियाघर की सैर करने और कुछ सीखने का अवसर मिला ।
चिड़ियाघर की यह सैर पर्किन्स इंडिया और जयति भारतम् की संयुक्त परियोजना के कारण संभव हो सकी, जो बहु दिव्यांगता से ग्रस्त बच्चों को सीखने और उन्नति करने का मौका देती है। जहाँ कई बच्चों को जानवरों को देखने में मज़ा आया, वहीं दूसरों ने जंगली जानवरों की एकदम असली दिखने वाली प्रतिमूर्तियों को छूने का आनंद लिया– वे जानवर, जिनके बारे में उन्होंने सिर्फ किताबों में पढ़ा था या चित्रों और वीडियो में देखा था। चिड़ियाघर का वास्तविक अनुभव बच्चों के लिए अधिक अर्थपूर्ण, दिलचस्प और मज़ेदार साबित हुआ।
परिवारजन इस सैर पर अपने बच्चों के साथ थे और अपने बच्चों के चेहरों पर आनंद देख कर वे बहुत प्रसन्न थे । भाई-बहनों ने भी इस मौके पर एक-दूसरे, और अन्य बच्चों से घुल-मिल कर बातचीत की। आस्था की माँ ने बताया, “आज अपनी बेटी को मज़े करते देख कर मुझे बहुत ज़्यादा खुशी हो रही है। अक्सर उसे नए लोगों से बातचीत करना पसंद नहीं आता, लेकिन मैंने उसे दूसरे बच्चों के साथ मस्ती करते और खेलते देखा। यह मेरे लिए एक बहुत बड़ा यादगार अनुभव है।“
बहु दिव्यांगता से ग्रस्त बच्चों के लिए, जानवरों से इस तरह के अनूठे परिचय और चिड़ियाघर के अनुभवों ने एक अत्यधिक शिक्षाप्रद अनुभव प्रदान किया है। तरह-तरह के झूलों पर बैठने से लेकर जानवरों की नकल करने तक, यह दिन मौज-मस्ती और सीखने के नए अनुभव से कहीं अधिक था। यह सैर यह भी दर्शाती है कि बहु दिव्यांगता से ग्रस्त बच्चों को भी बाकी किसी बच्चों की ही तरह पारिवारिक सैर-सपाटों और विद्यालय की अध्ययन यात्राओं में शामिल किया जा सकता है।