उत्तर प्रदेश के मथुरा के छोटे से गाँव में क्षेत्र सर्वेक्षण के दौरान प्रोजेक्ट आईडीआई के क्षेत्र कार्यकर्ता 8 वर्ष के अभिषेक से मिले। संक्षिप्त अनुवीक्षण करने के बाद कार्यकर्ताओं ने अभिषेक को पूर्ण दृष्टि एवं कार्यात्मक कौशल आंकलन के लिए वृन्दावन के डॉ. श्रॉफ चैरिटी आई हॉस्पिटल में रेफर किया।
डॉ. श्रॉफ चैरिटी आई हॉस्पिटल में अभिषेक को प्रोजेक्ट आईडीआई में कार्य करने वाले दृष्टि विशेषज्ञों और शिक्षकों ने देखा और दृष्टि दिव्यांगता और बहु दिव्यांगता से ग्रस्त के रूप में उसका निदान किया। उसके परिवार को उसके निदान से सम्बंधित परामर्श दिया गया और उम्मीद दी गई कि उपचार और शैक्षिक हस्तक्षेप से अभिषेक कई नई अवधारणाओं और कौशल को सीखने में सक्षम हो जाएगा और हो सकता है कि किसी दिन स्कूल भी जाने लगेगा । अभिषेक के माता-पिता अपने बेटे के लिए संभावित सकारात्मक परिणामों को जानकर अत्यंत प्रसन्नता और राहत अनुभव कर रहे थे। अभिषेक को तत्काल ही प्रोजेक्ट आईडीआई में पंजीकृत कर लिया गया जिससे डॉ. श्रॉफ चैरिटी आई हॉस्पिटल के प्रारम्भिक हस्तक्षेप केन्द्र में उसे हस्तक्षेप सेवाएं मिल सकें।
र प्रोजेक्ट आईडीआई टीम के लिए यह आश्चर्यजनक था कि मात्र एक सप्ताह के बाद ही अभिषेक ने हस्तक्षेप सत्र में आना बंद कर दिया। सीबीआर कार्यकर्ताओं ने उसके परिवार से सम्पर्क किया तो पता चला कि उसके विकासात्मक और गतिशीलता सम्बन्धी चुनौतियों के कारण हस्तक्षेप सेवा के लिए उसे केंद्र तक लाना चुनौतीपूर्ण था। इससे भी ज़्यादा जटिलता यह है के उसके पिता लम्बे समय खेत में काम करते हैं और माँ सड़क किनारे नाश्ते की एक दूकान लगाती हैं जिसकी वजह से दोनों ही कम समय निकाल पाते हैं। इसलिए यह समझते हुए भी कि हस्तक्षेप सत्र अभिषेक के लिए लाभप्रद है, वे उसे साप्ताहिक सत्र के लिए केन्द्र पर नहीं ला पा रहे थे।
अभिषेक और उसके परिवार की हस्तक्षेप सम्बंधित आवश्यकता को पूरा करने के लिए प्रोजेक्ट आईडीआई की टीम ने अभिषेक के घर साप्ताहिक हस्तक्षेप सत्र को प्रारम्भ करने में जरा भी विलम्ब नहीं किया । टीम ने अभिषेक के कार्यात्मक आंकलन के आधार पर उसके लिए एक अल्पकालिक हस्तक्षेप योजना विकसित की। योजना के हिस्से के रूप में टीम ने शैक्षिक गतिविधियों को इस तरह रचा कि उन्हें घर पर किया जा सके। उन्होंने परिवार के साथ गतिविधियों को प्रदर्शन करके बताया कि जिससे वे घर में आसानी से मिलने वाली सामग्री का उपयोग करके अभिषेक के साथ इन गतिविधियों को दोहरा सकें । परिवार के मार्गदर्शन और अभिषेक की प्रगति की जाँच के लिए सीबीआर कार्यकर्ता प्रति सप्ताह वहाँ जाते हैं।
प्रोजेक्ट आईडीआई की टीम यह देख कर बहुत ही प्रसन्न हुई कि अभिषेक हस्तक्षेप के मात्र तीन सत्रों के बाद ही नए कौशलों को सीख रहा है और उनका प्रयोग कर रहा है। टीम पहले से ही उसके लिए नए पाठ तैयार कर रही है और अपने अगले दौरे का इन्तजार कर रही है, जिससे नई गतिविधियों से उसका परिचय कराया जा सके और परिवार को बताया जा सके कि अच्छी तरह उसको सहयोग कैसे प्रदान किया जाए।
अभिषेक का परिवार इस प्रगति से अत्यन्त प्रसन्न और उत्साहित है। वे टीम द्वारा साझा किए गए निर्देशों का पालन कर रहे हैं और अब तक उसमें हुए सुधार को लक्षित भी कर रहे हैं। अभिषेक के पिता जी ने बताया ,” जब हम उसे प्रोत्साहित करते हैं तो वह खड़े होने का प्रयास करता है। अब उसने परिवार के लोगों के अतिरिक्त अन्य लोग जो उसके पास आते हैं, उन पर अभिषेक ने ध्यान देना आरम्भ किया है। ऐसा वह पहले कभी नहीं करता था।
प्रोजेक्ट आईडीआई के माध्यम से, पर्किन्स इंडिया और श्रॉफ आई हॉस्पिटल का उद्देश्य अभिषेक जैसे बच्चों के परिवारों तक पहुंचना है, जिन्हें सहायता और मार्गदर्शन की आवश्यकता है। बहु दिव्यांगता से ग्रस्त बच्चों के सीखने, बढ़ने, संप्रेषण करने में सहायता करके और अपने समुदायों में सार्थक रूप से जोड़कर, परिवारों को सशक्त बनाया जाता है।