“ऋषभ के लिए व्हीलचेयर प्राप्त करके मुझे बहुत राहत मिली है। ।“ उसकी माँ ने बताया।
११ वर्ष की आयु में भी ऋषभ की सीमित गतिशीलता के कारण उसकी माँ को उसे एक जगह से दूसरी जगह उठा कर ले जाना पड़ता था। उन्होंने बताया “जैसे जैसे वह बड़ा होता जा रहा है हर समय उसे उठा कर ले जाना कठिन होता जा रहा है।“
इंडसइंड बैंक के सहयोग से प्राप्त नई कुर्सी को अपनाना और उस पर बैठना ऋषभ के लिए सहज नहीं था । माँ से मिलने वाले आराम की तुलना में कुर्सी उसे अपरिचित सी लगी। पर्किन्स इंडिया टीम ने उसके परिवार को निर्देशित किया कि वे ऋषभ को धीरे धीरे व्हीलचेयर से सहज होना सिखाएं।
अब ऋषभ कुर्सी पर आराम से बैठ सकता है और बाहर ले जाने पर प्रसन्न होता है – जो उसके लिए सम्भावनाओं की दुनिया को खोलता है और आसपास की दुनिया तक उसकी पहुँच को आसान बनाता है तथा सीखने के अधिक अवसर प्रदान करता है।